Odisha Train Accident
“बालासोर, उड़ीसा में एक ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें कई लोगों के जीवन की हानि हो गई। घटना के अनुसार, एक ट्रेन ने बालासोर रेलवे स्टेशन पर रुकते समय पटरी से उलटी हो गई। इस हादसे में कुछ बोगी पटरी से उलटने के कारण पलट गईं, जिससे कई लोगों को चोटें आईं और कुछ लोगों को मौत भी हो गई। स्थानीय अस्पतालों में घायलों को भर्ती किया गया है और उचित उपचार प्रदान किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों ने घटना की जांच शुरू कर दी है और सुरक्षा के नए उपायों की जांच कर रहे हैं।”
ओडिशा के बालासोर जिले में बीते शुक्रवार 2 जून को तीन ट्रेनें हादसे का शिकार हो गईं। शाम को हुए इस हादसे में तकरीबन 237 यात्रियों की मृत्यु हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि 900 से अधिक यात्री घायल हैं। कुछ यात्री काफी ज्यादा चोटिल हैं और अपनी जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं। घायलों का इलाज बालासोर, भद्रक, मयूरभंज, कटक और जाजपुर के हॉस्पिटल में चल रहा है। बता दें कि दुर्घटना में मौत होने वाले यात्रियों की संख्या अभी और बढ़ सकती है, इस बात की भी आशंका जताई जा रही है।
शुक्रवार शाम को तकरीबन 7 बजकर 20 मिनट के वक्त ओडिशा के बालासोर में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं। साइड वाले ट्रैक से शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस जा रही थी। गौरतलब है कि बेपटरी हुईं बोगियां साइड वाले ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों से टकरा गईं। इसके बाद चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस की बेपटरी हुईं बोगियां एक अन्य ट्रैक पर मालगाड़ी से टकरा गईं।
कैसे हुआ ट्रिपल ट्रेन हादसा?
सिग्नल संबंधी गड़बड़ी की वजह से हादसा
कोरोमंडल को मेन लाइन का सिग्नल दिया
तुरंत मेन लाइन का सिग्नल वापस लिया गया
लेकिन तब तक ट्रेन लूप लाइन में चली गई
ट्रेन लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकराई
कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां बेपटरी हुई
डाउन मेन लाइन से गुजर रही थी हावड़ा एक्सप्रेस
हावड़ा एक्सप्रेस भी इन बोगियों की चपेट में आई
किसकी गलती से हुआ रेल हादसा?
कोरोमंडल एक्सप्रेस यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस
120 किमी/ घंटा रफ्तार 125 किमी/ घंटा रफ्तार
अप लाइन का सिग्नल डाउन लाइन का सिग्नल
लूप लाइन में घुसी उसी वक्त डाउन लाइन से गुजरी
मालगाड़ी से टकराई ज्यादातर बोगियां सुरक्षित निकली
कई बोगियां बेपटरी हुई आखिरी 2 बोगी चपेट में आई
हादसे रोकने का ‘कवच’!
ट्रेन डिफेंस सिस्टम समय की जरूरत
एक ही ट्रैक पर दूसरी ट्रेन को ट्रेस करें
ट्रैक पर दूसरी ट्रेन होने पर ऑटोमेटिक ब्रेक
400 मीटर के अंदर ब्रेक लग जाता है
रेड सिग्नल होने पर रुकेगी ट्रेन
रेलवे फाटक 1km होने पर बजता है हॉर्न
टक्कर होने से रोकता है कवच
युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान चलाया गया
हादसे के बाद युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान चलाया गया। स्थानीय लोगों के साथ साथ प्रशासन और पुलिस की टीमें शुरुआत में देवदूत के रूप में यात्रियों की जान बचाने में लगी हुई थीं। बाद में एसडीआरएफ और फिर एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया। इसके बाद तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया गया। रातभर लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए ऑपरेशन चलता रहा। सुबह का सूरज निकलने के बाद एयरफोर्स और फिर सेना की टीमें भी ऑपरेशन जिंदगी में सहयोग करने के लिए पहुंच गईं।