देश के सबसे साफ शहर में हुए इस सर्वे में नतीजे चौंकाने वाले आए हैं। 48 फीसदी लोगों की रिपोर्ट में किसी न किसी तरह की गड़बड़ी मिली है।
इंदौर में लोगों की सेहत का पता लगाने के लिए एक लाख से ज्यादा लोगों की आठ तरह की जांच करवाई गई। देश के सबसे साफ शहर में हुए इस सर्वे में नतीजे चौंकाने वाले आए हैं। 48 फीसदी लोगों की रिपोर्ट में किसी न किसी तरह की गड़बड़ी मिली है। इसमें 17 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारियों का खतरा बताया गया है। जिला प्रशासन, आईएमए व रेडक्रॉस के सहयोग से इसे किया गया है। सरकार और प्रशासन का प्रयास है कि इस रिपोर्ट के आधार पर ध्यान देकर भविष्य में होने वाली इन बीमारियों से शहरवासियों को बचाया जा सके।
जिला प्रशासन ने सेंट्रल लैब के सहयोग से 394 हेल्थ कैंप आयोजित किए थे। हेल्थ ऑफ इंदौर नाम से हुए इस लाइफ स्टाइल डिसीज सर्वे में एक लाख 113 लोगों की 8 लाख से ज्यादा जांचें की गईं। चौंकाने वाली बात यह थी कि मिडिल क्लास के नमूनों में असामान्यता ज्यादा मिली यानी मिडिल क्लास को लाइफ स्टाइल डिजीज होने के खतरे सबसे ज्यादा हैं। सर्वे में कई समाजों को शामिल किया गया और सामाजिक कार्यक्रमों में इनकी बड़े स्तर पर जांच की गई। इनमें ब्राह्मण, अग्रवाल, गुजराती, सिंधी, जैन, बोहरा, पंजाबी, मुस्लिम, माहेश्वरी, पाटीदार, वाल्मिकी समाज के लोग शामिल थे। जिनकी रिपोर्ट असामान्य आई है अब उनकी एडवांस जांचें होंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रिवेंटिव हेल्थ केयर को लेकर इंदौर को रोल मॉडल बनाने पर बात की गई। माना जा रहा है कि शहर पर अगले 30 साल के अंदर इन बीमारियों के इलाज पर 4 हजार 460 से 14 हजार 868 करोड़ रुपए का भार पड़ सकता है।
सर्वे में चौंकाने वाली बात –
– 17 प्रतिशत लोगों का कोलेस्ट्रॉल ज्यादा मिला जो हार्ट डिजीज का खतरा है।
– 9.5 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्लूकोस ज्यादा था जो बताता है कि यह डायबिटीज या प्री डायबिटीज स्टेज पर हैं।
– 6 प्रतिशत लोगों का एसजीपीटी ज्यादा मिला जो लिवर डिजीज का संकेत है।
– सर्वे के 13 प्रतिशत लोगों में सीरम प्रोटीन कम मिला जो खराब डाइट और कम इम्यूनिटी को बताता है।
– 5.85 प्रतिशत लोगों में ग्लूकोस और कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़े मिले जो गंभीर बीमारियों का खतरा हैं।
– 51 प्रतिशत पुरुष और 49 प्रतिशत महिलाओं को इस सर्वे में शामिल किया गया।
क्या बोले जिम्मेदार
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि आगे जाकर हम किसी ना किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं। सर्वे के नतीजे चिंताजनक हैं इसलिए हम सभी को मिलकर युद्धस्तर पर काम करना होंगा। बीमारियों से बचने के लिए हमें प्रिवेंटिव हेल्थ केयर अपनाना होगा और इस तरह से हम इन बीमारियों पर होने वाले खर्च का भार भी कम कर सकते हैं। कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि हम इंदौर को रोल मॉडल के रूप में विकसित कर सकते हैं। शहर को स्वस्थ इंदौर बनाने के लिए सभी को एक साथ मिलकर बड़े पैमाने पर कोशिश करना होगा। सेंट्रल लैब संचालक डॉक्टर विनिता कोठारी ने कहा कि यह कई साल की मेहनत है और रिजल्ट आए हैं वह भविष्य में आने वाले खतरे से हमें बचा सकते हैं। इसलिए लिए एक्शन प्लान बनाकर काम करना होगा।